Saturday 5 April 2014

Shayari in Hindi Text महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली

Shayari in Hindi Text महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली
महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली,
वक़्त फिर भी मेरे हिसाब से
कभी ना चला ...!!"
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युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे ..
पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है!!'
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अगर खुदा नहीं हे तो उसका ज़िक्र क्यों ??
और अगर खुदा हे तो फिर फिक्र क्यों ???
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"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,
एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'......
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" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और दुःख का
कोई खरीदार नहीं होता।"
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मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,
पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते।
यहाँ सब कुछ बिकता है , दोस्तों रहना जरा संभाल के !!!
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बेचने वाले हवा भी बेच देते है , गुब्बारों में डाल के !!!
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सच बिकता है , झूट बिकता है, बिकती है हर कहानी !!!
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तीन लोक में फेला है , फिर भी बिकता है बोतल में पानी!!!
कभी फूलों की तरह मत जीना,
जिस दिन खिलोगे... टूट कर बिखर्र जाओगे ।

जीना है तो पत्थर की तरह जियो;
जिस दिन तराशे गए... "खुदा" बन जाओगे ।।

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